दोस्तों इस पोस्ट को आप पूरा पढ़ेंगे तो क्या क्या सीखने वाले हैं पहले आपको बता देते हैं। जैसे
- एम्ब्रॉयडरी मसीन में कितना सैलरी मिलता है?
- एम्ब्रॉयडरी मसीन ऑनलाइन सीखने के फायदे?
- किसी प्लांट में काम करने से एम्ब्रॉयडरी मसीन में काम करना क्यों अच्छा है?
एम्ब्रॉयडरी मसीन में कितना सैलरी मिलता है?
दोस्तों सबसे पहले मैं आपको बतादूँ सूरत गुजरात में सैलरी को पगार कहते हैं अगर आप सेठ से पूछना चाहते हैं सैलरी कितना देंगे तो उसे कहेंगे सेठ पगार कितना देंगे नहीं तो वो समझेंगे ये नया कारीगर है या हेल्फर है और जो काम सिख जाते हैं उसको गुजरात में कारीगर या ओपरेटर कहते हैं और जो काम नहीं सीखा रहता है उसे हेल्फर कहते हैं। और दोस्तों इसमें अगर आप पगार की बात करें तो मसीन पर डिपेंड करता है जैसे कि वो छोटी मसीन है या बड़ी मसीन है और कोडिंग, सिक्वेन्स है या मल्टी है अगर छोटी मसीन है तो उसमें आपको कम पगार मिलेगा क्योंकि उसमें बड़ी मसीन के मुकाबले छोटी मसीन में कम मेहनत होगा और मल्टी के मुकाबले कोडिंग या सिक्वेन्स में हमेशा ज्यादा पगार होता है और इसमें आप कम से कम 13 हजार से लेकर 30 हजार तक कमा सकते हैं अगर डबल और बड़ी मशीन चलाते हैं तो अब आप सोच रहे होंगे मल्टी कोडिंग सीक्वेंस क्या होता है दोस्तों जो कढ़ाई मशीन होता है उसे एंब्रॉयडरी मशीन कहते हैं और अगर उसमें कोई डिवाइज नहीं लगा है तो उसे मल्टी कहेंगे क्योंकि वो सिर्फ धागा से ही डिजाइन बना सकता है। लेकिन अगर कोई साड़ी या शूट के कपड़े में सिक्वेंस यानी सितारा लगाना है तो उसे सिक्वेंस ही बना सकता है और कई सारी महंगा लैश या साड़ी में आप देखे होंगे डोरी से भी डिजाइन बना होता है तो वो कोडिंग पर बना होता है। और जब कोई नया मशीन सेठ लेते हैं तो ज्यादातर पहले मल्टी ही होता है लेकिन सेठ उस में इंजीनियर बुलवाकर उसे अपने मुताबिक सीक्वेंस या कोडिंग बनवा देते हैं चलिए अब आपको दिखाते हैं ये तीनों प्रकार का मशीन दिखता कैसा है। जैसे ये देख सकते हैं ये है मल्टी।
दोस्तों जैसे कि आप देख सकते हैं ये 15 हेड का मल्टी है इसमें हेड के दोनों तरफ कोई डिवाइज नहीं है ना ही कोडिंग का ना ही सीक्वेंस का दोस्तों आप सोच रहे होंगे हेड क्या होता है और इसमें सीक्वेंस या कोडिंग का डिवाइज कहां लगता है कैसा दिखता है लेकिन आप टैंशन मत लीजिए बारी बारी से सब आपको बता देंगे जैसे आप इस इमेज में देख सकते हैं ये जो लम्बा लम्बा लगा है वो सब को हेड कहते हैं।
दोस्तों जैसे कि आप इस इमेज में देख सकते हैं मैं तीन हेड में नम्बर लिख दिया हूँ कि ताकि आपको आसानी से समझ में आ जाए हेड किसे कहते हैं वैसे ही सारे हेड को आप गिनती करेंगे जितना हेड मशीन में होगा उतना हेड का मशीन कहलाएगा दोस्तों अब तो आप जान गए होंगे मशीन में हेड क्या होता है। दोस्तों चलिए अब आपको दिखाते हैं कोडिंग और सीक्वेंस का डिवाइज किधर लगता है और कैसे दिखता है जैसे कि आप इस इमेज में देख सकते हैं इसमें एक तरफ कोडिंग का डिवाइज लगा है और दूसरा तरफ सीक्वेंस का
दोस्तों जैसे कि इस इमेज में आप देखे इसमें कोडिंग और सीक्वेंस का दोनों डिवाइज लगा है लेकिन ऐसा नहीं है कि दोनों तरफ ही डिवाइज लगा हो किसी मशीन में सिर्फ एक तरफ ही कोडिंग या सीक्वेंस का डिवाइज होता है और किसी मशीन में हेड के एक तरफ कोडिंग का डिवाइज होता है तो दूसरा तरफ सीक्वेंस का डिवाइज होता है और किसी मशीन में तो दोनों तरफ सीक्वेंस का ही डिवाइज होता है एक तरफ 9mm या 7mm का सीक्वेंस डिवाइज तो दूसरा तरफ 3mm का सीक्वेंस डिवाइज सेठ को जैसा अच्छा लगे अपने मुताबिक बनवाते हैं। दोस्तों चलिए अब आप को दिखाते हैं ये मशीन कैसे चलता है और कैसे डिजाइन बनाता है जैसे कि ये वीडियो में आप देख सकते हैं।
एम्ब्रॉयडरी मसीन ऑनलाइन सीखने के फायदे?
दोस्तों अगर आप ऑनलाइन सीखते हैं तो इसके कई सारे फायदे हैं आपको। क्योंकि छे साथ साल पहले जब कोई हेल्फर एंब्रॉयडरी में आते थे तो उनका पगार तीन हजार से चार हजार तक होता था और जो कारीगर भी होते थे तो उनको नॉलेज और काम के हिसाब से पगार दिया जाता था मैं खुद आठ साल पहले आया था तो मेरा पगार चार हजार महीना था फिर जैसे जैसे नॉलेज बढ़ा पगार भी बढ़ते गया लेकिन अब कोई तीन चार हजार पर काम भी नहीं करेंगे और सेठ भी नहीं रखते हैं इस लिए अब जो नए कारीगर आते हैं एंब्रॉयडरी लाइन में वो अपने भाई या दोस्त के साथ आते हैं और दो या तीन महीने सीखते हैं और फिर किसी मशीन पर बैठ जाते हैं यानी कहीं काम लग जाते हैं लेकिन नए कारीगरों को बहुत दिक्कत होता है क्योंकि उसको उतना नॉलेज नहीं होता और अगर आप कारीगर हैं तो आपको सत्तर पर्सेंट तक आपको मशीन की नॉलेज होनी चाहिए जब मशीन खराब हो जाए तो आपको बनाना आना चाहिए अगर ज्यादा कुछ खराब जो जाए जैसे मदर बोर्ड में या कंप्यूटर या ड्राइवर या करेन्क में तो इंजीनियर को सेठ बुलाते हैं और अगर आप दस पन्द्रह साल एंब्रॉयडरी लाइन में काम कर दिए तो आप भी इंजीनियर बन सकते हैं अगर बनना चाहें तो जो एंब्रॉयडरी मशीन के इंजीनियर होते हैं वो तीन दिन में एक मशीन का सर्विस कर देते हैं और तीन दिन में ही बीस या बाइस हजार रुपए कमा लेते हैं।
किसी प्लांट में काम करने से एम्ब्रॉयडरी मसीन में काम करना क्यों अच्छा है?
दोस्तों अब आपको बताते हैं ज्यादातर लोग एंब्रॉयडरी में काम करना क्यों पसन्द करते हैं और ये किसी प्लांट या फैक्ट्री या किसी बिल्डिंग में काम करने से अच्छा क्यों है क्योंकि आपको धूप में काम नहीं करना होता है और जैसे प्लांट या फैक्ट्री या बिल्डिंग में लेबर काम करते हैं उस तरीके से आपको शरीर पर गदहे की तरह वजन लाद कर काम नहीं करना पड़ता है। ये मशीन एक कंप्यूटराइज्ड मशीन है इलेक्ट्रॉनिक मशीन है ये मशीन कोई डीजल या पेट्रोल से नहीं चलता है जैसे आप मोबाईल दुकान पर जो कंप्यूटर देखते हैं उसी तरह से इसमें भी मदर बोर्ड और कंप्यूटर पेंट्राइब काम होता है लेकिन उस कंप्यूटर से एंब्रॉयडरी मशीन के कंप्यूटर और मदर बोर्ड अलग होता है लेकिन पेंट्राइब दोनों में सेम लगता है चलिए अब आपको दिखाते हैं एंब्रॉयडरी मशीन का कंप्यूटर दिखता कैसा है।दोस्तो जैसे कि आप देख सकते हैं ये एंब्रॉयडरी मशीन का कंप्यूटर है लेकिन ये स्क्रीन टच कंप्यूटर है दोस्तों पहले वाले पुराने मशीन में बटन वाला ही कंप्यूटर आता था लेकिन अब नए तरीके के कंप्यूटर आने लगे हैं और एंब्रॉयडरी मशीन बनाने वाली कम्पनी पर डिपेंड करता है कि कौन सा कम्पनी के मशीन है और सारे कंप्यूटर में सिस्टम भी कुछ अलग अलग होते हैं लेकिन आप टैंशन मत लीजिए हम आपको बहुत ही विस्तार से आपको सभी कंप्यूटर और मशीन का नॉलेज दूंगा बस आप मेरे साथ बने रहिए और अगर आप इस पोस्ट के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो एक टिप्पणी भेजें पर क्लिक कर के कॉमेंट करें। दोस्तों अगर आप एंब्रॉयडरी मशीन के कारीगर हैं तो ये सेठ के पास काम खाली है आप चाहें तो उनके पास काम लग सकते हैं उकने खाते का पूरा डिटेल देखने के लिए read more पर क्लिक करें। दोस्तों उनके पास काम पर जाने से पहले कॉल कर के पूछ लीजिए काम खाली है कि नहीं हो सकता है उनका कारीगर काम पर लग गए होंगे।
अगर आप ये सेठ के पास काम किये हैं तो एक टिप्पणी भेजें पर क्लिक करके कमेंट कीजिये ये सेठ कैसे स्वभाव के हैं कि ताकि कोई भी कारीगर इनके पास काम पर जाने से पहले पता लग जाए कि ये सेठ कैसे स्वभाव के हैं कि ताकि किसी कारीगर का पगार न फँसा ले?